
लखनऊ। लखनऊ-कानपुर एलीवेटेड हाईवे के रास्ते में 63 ग्राम पंचायतों की जमीन आ रही है,
जिससे हजारों ग्रामीणों की भूमि प्रभावित होगी।
किसानों को सर्किल रेट के आधार पर मुआवजा नेशनल हाईवे अथॉरिटी देगी।
केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय ने इस आशय का गजट किया है।
इन गांवों से कितनी कितनी भूमि ली जाएगी,
इसका गजट भी जल्द किया जाएगा।
इस एलीवेटेड एक्सप्रेस वे के बनने से लखनऊ-कानपुर के बीच की दूरी 40 से 50 मिनट में पूरी हो जाएगी।
लखनऊ और उन्नाव की विभिन्न तहसीलों के गांव इस एक्सप्रेस वे की जद में आ रहे हैं।
उन्नाव और कानपुर की सीमा के अंतिम गांव कोरिरि कलां गांव तक ये एलीवेटेड एक्सप्रेस वे बनेगा। कानपुर की सीमा से पहले ही पुल समाप्त होगा।
इसलिए गंगा पर कोई नया पुल नहीं बनाया जाएगा।
केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय ने ये गजट जारी किया है,
जिसमें इन सभी ग्राम पंचायतों का उल्लेख किया गया है,
इन्हीं गांवों से होकर ये सड़क गुजरेगी।
राजधानी में सरोजनी नगर तहसील में पहला गांव पिपरसंड होगा।
इस तहसील के 18 गांव शामिल होंगे।
इसके आगे हसनगंज तहसील के चार गांव होंगे।
फिर उन्नाव की पुरवा तहसील के 18 गांवों में जमीन ली जाएगी।
आखिर में उन्नाव तहसील के 32 गांवों का हिस्सा होगा,
जिसमें बंथर का औद्योगिक क्षेत्र भी शामिल होगा।
एक्सप्रेस वे के 11वें किमी से ग्रामीण क्षेत्र शुरू होगा।